“टैरिफ झटके ने अप्रैल में FII निवेशकों को बेचने पर मजबूर किया; विश्लेषक वैश्विक जोखिमों को चिन्हित करते हुए भारत के मजबूत आर्थिक आधार पर जताई उम्मीद”
टैरिफ झटके के बीच अप्रैल में FII निवेशकों ने शेयर बेजे, विश्लेषकों ने भारत के आधारभूत सुदृढ़ता पर जताया भरोसा
अप्रैल 2024 में वैश्विक टैरिफ बढ़ोतरी के झटके ने विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) को भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली करने पर मजबूर कर दिया। आइए जानते हैं इसके कारण, प्रभाव और विशेषज्ञों की भारत की दीर्घकालिक संभावनाओं पर राय।
टैरिफ झटका और FII बिकवाली
अमेरिका और EU जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं द्वारा आयात पर टैरिफ बढ़ाए जाने से वैश्विक व्यापार तनावों में अचानक वृद्धि हुई। इसका असर उभरते बाजारों समेत भारत पर भी पड़ा, जहां FIIs ने अप्रैल में 18,000 करोड़ रुपये से अधिक की नेट बिकवाली की — यह 2024 की अब तक की सबसे बड़ी मासिक निकासी है। IT, ऑटो और फार्मा जैसे निर्यात-आधारित क्षेत्रों को सबसे ज्यादा झटका लगा।
वैश्विक जोखिमों पर विश्लेषकों की चेतावनी
विश्लेषकों के अनुसार, FIIs की सतर्कता के तीन प्रमुख कारण हैं:
- व्यापार युद्ध का डर: संरक्षणवाद से वैश्विक व्यापार और कॉर्पोरेट कमाई पर खतरा।
- मुद्रा अस्थिरता: डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी और RBI के हस्तक्षेप ने अनिश्चितता बढ़ाई।
- जोखिम-बचाव मनोवृत्ति: मध्य पूर्व में भू-राजनीतिक तनाव और चीन की मंदी ने निवेशकों को सुरक्षित संपत्तियों की ओर धकेला।
भारत की आधारभूत मजबूती: आशा की किरण
अल्पकालिक चुनौतियों के बावजूद, विशेषज्ञ भारत की संरचनात्मक ताकतों को लेकर आश्वस्त हैं:
- मजबूत घरेलू मांग: युवा जनसंख्या और बढ़ती क्रय शक्ति खपत को गति दे रही है।
- नीतिगत स्थिरता: PLI योजना और बुनियादी ढांचे के निवेश से निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा।
- मैक्रो संतुलन: 600 अरब डॉलर से अधिक का विदेशी मुद्रा भंडार, नियंत्रित मुद्रास्फीति और घटता राजकोषीय घाटा सुरक्षा कवच प्रदान करते हैं।
कोटक AMC के MD निलेश शाह के अनुसार, “वैश्विक उथल-पुथल अस्थायी है, लेकिन भारत के सुधार और जनसांख्यिकीय लाभांश दीर्घकालिक विकास के मूलाधार हैं।”
आगे की राह
हालांकि FII निकासी अगले कुछ समय तक जारी रह सकती है, घरेलू संस्थागत निवेशक (DII) और रिटेल निवेशक इस दबाव को संभालने में सक्षम हैं। विश्लेषक निवेशकों को FMCG, नवीकरणीय ऊर्जा और वित्तीय सेवाओं जैसे घरेलू विकास से जुड़े क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह देते हैं।
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निष्कर्ष
वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत की अर्थव्यवस्था अपने मजबूत आधारभूत सिद्धांतों पर टिकी है। आत्मनिर्भरता और नवाचार पर ध्यान देकर भारत न केवल वैश्विक चुनौतियों का सामना करेगा, बल्कि इससे और मजबूत होकर उभरेगा।
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